राजपूत एकता

“ एकता में बल है “ यह एक पुरानी कहावत है जो की पूरी तरह से सही भी है | क्षेत्र कोई भी हो यदि व्यक्ति या समाज एकता के सूत्र में बंधकर काम करें तो सफलता निश्चित है | और जो समाज एक होकर आगे बढ़ता है वह सफलता के नित नए आयाम गढ़ता जाता है |हमारे गौरवशाली राजपूत समाज को भी आज एकता में बंधकर काम करने की जरुरत है तभी हमारा विकास हो सकता है और हम प्रगति के पथ पर बढ़ सकते हैं | संगठन की शक्ति से ही देश का विकास होता है |
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एकता का दुर्ग इतना सुरक्षित होता है कि इसके भीतर रहने वाले कभी भी दुःखी नहीं होते है | आप ने अंगीठी में जलते हुए कोयले देखा ही होगा, सभी कोयले एक साथ मिलकर कितने तेजस्वी हो जाते है | पर आपने कभी सोचा है जो कोयला अंगीठी में इतना तेजस्वी है अगर उसमें से किसी एक कोयले को अंगीठी से बाहर निकाल कर रख दें तो उस कोयले का क्या हश्र होगा, निश्चित तौर पर वह अकेला पड़ने पर राख हो जाएगा | इंसान के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है | जब तक व्यक्ति समुदाय या संगठन में रहता है तभी तक उसका अस्तित्व है संगठन से बाहर होने पर व्यक्ति का पतन निश्चित है | संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है |राजपूत समाज निश्चित तौर पर इस बात को समझना चाहिए और अपने आपको हमेशा संगठित रखना चाहिए |
व्यक्ति से परिवार, परिवार से समुदाय और समुदाय से देश व समाज का निर्माण होता है | इसलिए संगठन के अभाव में व्यक्ति ही नहीं बल्कि देश व समाज भी सुचारू रूप से नहीं चल सकता है | अगर संगठन का देश के नागरिक में अभाव हो तो उस देश को परतंत्र होने में वक्त नहीं लगता| अंग्रेज हमपर शासन इसलिए कर पाए क्योंकि हम संगठित नहीं थे| यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि किसी काम को करने के लिए जितने लोग जुटते है उस काम को करने के लिए उतनी ही ताकत बढ़ जाती है |
हम जानवरों में भी देख सकते हैं वे हमेशा झुण्ड में रहते हैं | जब ये जीव संगठित होकर रह सकते है तो हम क्यों नहीं रह सकते| हम ब्राहण, क्षत्रिय, वैश्य चाहे जितने भी वर्गों में बटे हो, शासन और सामाजिक व्यवस्थाओं के स्वरूप भले ही बनते बिगड़ते रहें हो, पर हम धर्म और संस्कृति की दृष्टि से अपनी एकता कभी भंग न करें, तभी हम संसार की भयंकरताओं से लड़ कर जीत हासिल कर सकते है | अगर हम आपस में संगठित होकर रहें तो कोई भी बाहरी देश हम पर ऊँगली नहीं उठा सकता है |
भारत में भी एक वक्त ऐसा था जब लोग एक ही पिता की संतान की तरह संगठित होकर रहते थे और जब तक यह संगठन बना रहा तब तक भारत विश्व में अपराजेय रहा और विश्व में “सोने की चिड़िया ” कहलाया |
संगठन की शक्ति ही सर्वोत्कृष्ट शक्ति है और यही संगठन भारत को महान बनाता है | यहाँ अनेक धर्म, संस्कृति और भाषा के लोग मिलजुल कर रहते है और यही इस देश की विशेषता है | यह अनेकता में एकता का देश है | राजपूत समाज को एक होकर देश को उन्नत तथा प्रगतिशील बनाना चाहिए |